इलैक्ट्रोहोम्याेपैथिक
एन्जाईटिकोज (ब्लड रिमेडीज
,sUtkbZfVdkst ग्रुप की दबाओ को हम रक्त रिमेडिस या रक्त संस्थान की औषधियॉ भी कह सकते है । इस औषधि का का प्रभाव रक्त संस्थान एंव हिद्रय पर होता है । अत इस दबा का प्रभाव रक्त एंव रक्त से सम्बन्धित अंगों व अवयवों पर होता है । जिस प्रकार से एस0 -1 औषधी रस के विकारों पर कार्य करती है ठीक उसी प्रकार ए0 1 रक्त प्रकृति या रक्त से सम्बन्धित उत्पन्न होने वाले रोगों पर कार्य करती है ।
रक्त प्रकृति के रोगियों के प्रदाह युक्त रोगों अथवा ज्वरो में नियम केे अनुसार ऐन्जाईटिको सबसे आवश्यक है । प्रारम्भ में एंजियाईटिकों रक्त प्रकृति वाले रोगियों में बहुत सावधानी से प्रयोग करना चाहिये अर्थात तीसरे डायलुशन से कम में न देकर बाद मे दूसरे और प्रथम पर जाना चाहिये ।
जब एन्जायटिकों औषधी का प्रयोग करना हो तब एस01 औषधि के प्रयोग से पहले लिम्फ के कार्य नियमित हो जाते है एंव एन्जायटिकों के लिये रास्ता साफ हो जाता है । अत ए ग्रुप की दबाओं के पूर्व एस01 दबा के प्रयोग से ए ग्रुप की दबा अपना अभिष्ट परिणाम दिखलाती है । इसलिये एनजाईटिकों दबा के पहले एस 1 देने की सिफारिश की गयी है । डाॅ0 सिन्हा सहाब ने लिखा है कि जहॉ कही एन्जाईटिको के प्रयोग करने की आवश्यकता हो वहॉ रोगी की शक्ति को उत्तेजित करने के लिये एस-1 का प्रयोग थोडी देर के लिये आवश्यक है । ए01 का पहला डायल्युशन रक्त संचालन को बढाता है और कही रक्त प्रवाह हो रहा हो तो उसकोो तीब्र कर देता है । रक्त संचालन पर एन्जाईटिको के लाईटर डयलुशन का कोई प्रभाव नही है तीसरी और इससे भी उॅचे डायलुशन रक्त संचालन के हिद्रय की गति कम करके बंद कर देती है और इस प्रकार यदि कहीं रक्त प्रवाह हो तो बन्द कर देता है ।
प्राकृतिक गुण इस औषधी के प्राकृतिक गुण रक्त प्रवाह को बन्द करने वाली एसिड नाशक बाई नाशक हिदय पर प्रभाव डालने वाली बात नाशक कफ निकालने वाली स्तम्भक क्षय रोग नाशक ऐठन को दूर करने बाली पित नाशक है । यह दबा रक्त पित्त प्रकृति के लिये अनुकूल है । रक्त संचार के अवयवों धमनी शिरा कोशिकाओं नाडियों पर है रक्त संचार को ठीक करती है । इस समुह का प्रथम डायलुशन रक्त गति को बढाता है मासिक धर्म की कमी को तीब्र करता है तीब्र ज्वर व रक्त प्रवाह में प्रथम डायल्युशन का प्रयोग नही करना चाहिये इसका द्वितिय डायल्युशन मासिक धर्म को ठीक करता है । रक्त गति तीब्र हो तो मन्द करता है । यदि मन्द हो तो तीब्र करता है इस लिये द्वितिय डाय0 रक्त प्रवाह व रक्त को जमने नही देता ।इसका तृतिय डाय0 हिद्रय रोगियों में प्रयोग किया जाता है रक्त की तीब्र गति को कम करता है । स्त्रीयों की एम सी को अगर मन्द हो तो तीब्र करता है रक्त प्रवाह को रोकता है । नाडी यदि तेज चल रही हो तो उसे ठीक करता है ।
नोट लाल रक्त कण रक्त के अम्ल क्षाार के सन्तुलन को बनाये रखता है लाल रक्त कण रक्त के ऋणायन तथा धनायन में सन्तुलन रखने में सहायता करता है ।
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1- यह औषधी हिद्रय के धमनीयों पर कार्य करती है अर्थात महाधमनी एंव धमनियों पर बाई तरफ
2-इस प्रकार धमनी पर इसका कार्य है धमनी में शुद्व रक्त प्रवाह होता है जो लॅग एंव लीवर से होता हुआ शरीर के आधे बाये भाग से आर्टरी के माध्यम से जाता है वहॉ पर इस दबा का प्रभाव देखा जाता है ।
3-रक्त प्रवाह धमनियों में यदि ठीक से न हो तो उसका रंग नीला पीला दिखलाई देेता है हाथ व पैर ठण्डे रहते है ।
4-धमनियों में रक्त के बहान न होने से उस पर जो सूजन हो जाती है या रक्त की कमी के कारण होने वाले रोग रक्त प्रवाह में रूकावट रक्त का मस्तिष्क में संचय बबासीर में रक्त आना मलद्वार से रक्त प्रवाह
5-यह जैसा कि रक्त से सम्बन्धित बेसीक्युलर रक्त धमनियों पर प्रभावी रक्त वाल संस्थान पर प्रभाव
6-यह रक्त को शुद्व कर रक्त संचार को ठीक करती है रक्त की सूजन में प्रयोग की जाती है सामान्यत रक्त प्रकृति वालो के रक्त सम्बन्धिी रोगो में यह बहुत ही लाभदायक है साथ ही प्रकृति के अनुसार यह पित और वात प्रकृति बालो के लिये भी उपयोगी है
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